गहराई

दिलकी गहराईयोंमे कुदके देख जालिम

मिट्टीसे जान बनाना मुश्किल है अब भी


लोग सामने देखके मुस्कुराते हैं कुछ चेहरे

मैं अच्छा हुं बुरा देखकर भी पहचानता हुं


कभी तो जमेगी बात सोचकर चलता रहा

आधी जिंदगी चलाकिस्से आधे भी  चले


तुझे पहेली समझके लोग बुझते रहे

मैं जवाब तो दे दुंतु मुकर जायेगी चुपसे


याद दिला मुझे उम्र किमै अकेला नही

बयां करने के लिऐ तजुर्बे कैसे मिलते है


खुश है तु किस बातपेसोचता हैं वो

खुश हैं तु इस बातपेवो जानता ही नही


मैं भुल बैठा तुझे अपनी समझदारीसे

समझ जाने के कुछ अपने फायदे भी हैं


दिल दिमाग की गलती जुबां नही मानती

कहती हैं प्यार हैंहम हमजुबां तो नही?

Comments

Popular posts from this blog

ज्यांचं कुणीच नसते

गालिब